- ६० के दशक में नक्सलवाड़ी गाँव से शुरू हुआ किसान आन्दोलन अब अपना सवरूप बदल चुका हे और नक्सल्वादीसमस्या ने आज आन्तरिक सुरक्षा की समस्या खड़ी कर दी हे । शुरुआत में अगर सरकार को ये हल्की आवाज सुनाईदेती तो शायद आज इसका सवरूप ये न होता । वेसे सरकार अब नक्सलवाद की समस्या को नही नक्सलवादियों कोही ख़तम करना चाहती हे जो एक नाकामी के बाद होता हे। अभी कुछ दिनों पहले देश भर के किसानो ने गन्नामूल्य को लेकर अपनी समस्या सरकार को बताई लेकिन हल्की आवाज के कारण सरकार को सुनाई नही दी । लेकिनजब किसानो ने राजधानी की सड़कों पर आकर गन्ने को डंडा बनाकर अपनी आवाज बुलंद की तो सरकार जाग गई ।और तुरंत समस्या का हल सरकार ने कर दिया । अगर समस्या का हल किया जा सकता था तो सरकार को किसानोकी हल्की आवाज क्यूँ न सुनाई दी ? क्या सरकार हल्की आवाज सुनना नही चाहती या उसे तेज आवाज सुनने कीआदत बन गई हे ?
Saturday, April 3, 2010
हल्की आवाज नही सुनती सरकार
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